Downfall Of BYJU’S: तीन साल पहले, BYJU’S निवेशकों की आँखों का तारा था। यह हर महीने निवेशकों से करोड़ो पसे उठा रहा था लोग बिना पूछे पैसे दे भी रहे थे इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि शाहरुख खान और मेसी जैसे ब्रांड एम्बेसेडर बायजूज के साथ थे। बायजूज भारतीय क्रिकेट टीम से लेकर फीफा विश्व कप तक को स्पोंसर कर रहा था विज्ञापन मैं बायुजुज कोई कसर नहीं छोड़ रहा था शायद इसी वजह से सभी लोग BYJU’S को जान रहे थे | ऐसा इंसान ढूढ़ना शायद मुश्किल होता जो बायुजूज को न जानता हो, बायजूज भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम और एडटेक उद्योग की शान था जो देश को भी सेवा कर रहा था … बायजूज लाखों लोगों को तकनीक के माध्यम से शिक्षा का अवसर प्रदान कर रहा था। कम से कम 2 साल पहले, हर कोई सोच रहा था कि बायजूज अच्छी कंपनी है जो नेक उद्देश्य के साथ है। आज, यह कंपनी बंद की कगार पर है, यह कंपनी अपने कर्मचारियों का भुगतान भी नहीं कर पा रही और लोग इसे शापित कर रहे हैं।
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका बिजनेस के एक और नए फ्रेश आर्टिकल मैं इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम आपको BYJU’S कंपनी के बारे में बताएँगे की कैसे 22 मिलियन डॉलर की कंपनी आज बर्बाद होने के कगार पर है और साथ ही साथ आपको यह भी बताएँगे आखिर यह कम्पनी इतनी बुरी तरीके से बर्बाद कैसे हुई |
Downfall Of BYJU’S ( कंपनी के गिरने की कहानी )
संक्षेप में बात करे तो भारत के सबसे बड़े यूनिकॉर्न और सबसे प्रतिष्ठित एडटेक कंपनी का किस्मत पूरी तरह से बदल गया है। कंपनी अपने कर्मचारियों का वेतन, पीएफ और सरकार का टीडीएस का भुगतान भी नहीं कर पा रही है। कंपनी इतनी खराब हालत में है कि कर्मचारियों को एफएनएफ (जो कर्मचारी छोड़के जाना चाहते है उनका पूरा फुल एंड फाइनल सेटेलमेंट) भी नहीं दे पा रही हैं, ज्यादातर कर्मचारी कंपनी छोड़ना चाहते है लेकिन उनको कंपनी को छोड़ने पर उनका बोनस, इंसेंटिव और उनका वकाया पैसा नहीं मिल पा रहा हैं और अब तो यह भी सुनने मैं आया है की कंपनी अपना किराया, बिजली बिल और यूटिलिटी बिल का भी भुगतान नहीं कर पा रही है |
बायजूज के संस्थापक बायजू रवींद्रन ने दिसंबर के महीने मैं घर की गिरवी रखकर 12 मिलियन डॉलर का ऋण लेकर ताकि वह कंपनी के कर्मचारियों को नवंबर माह की वेतन दे सके और अब कम्पनी के ऊपर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम उल्लंघन या फेमा उल्लंघन आरोप भी लगा है, कंपनी का मूल्यांकन 22 बिलियन डॉलर से घटकर 3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है
How did BYJU’S Start? ( बायजूज कैसे शरू हुआ? )
15 साल पहले, बायजू रवींद्रन ने अपने माता पिता की कंपनी, थिंक एंड लर्न की स्थापना की। बायजू रवींद्रन का जन्म 1980 में आझिकोडे, उत्तर केरला में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी स्कूल के भौतिकी शिक्षक और माता एक गणित शिक्षक थी। इसलिए, निश्चित रूप से, उनके साथ एक अच्छा पढ़ाई का वातावरण था। बायजू ने अपने माता पिता के स्कूल में 8वीं कक्षा तक पढ़ाई की और फिर उन्होंने एस.एन. कॉलेज, कन्नूर में जाना शुरू किया। बायजू अपने सहपाठियों और शिक्षकों के हिसाब से गणित और खेल दोनों में विशेषज्ञ थे। स्कूल के बाद, उन्होंने सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज, कन्नूर में इंजीनियरिंग पढ़ी।
2000 में उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 2001 में, वह एक शिपिंग फर्म में सर्विस इंजीनियर के रूप में जुड़ गए। दो साल बाद, 2003 में, वह घर लौट आए। और इसी छुट्टी में, उनकी ज़िंदगी बदल गई। कुछ दोस्तों ने उन्हें CAT परीक्षा के लिए मदद करने के लिए अपील की। बायजू ने कुछ दोस्तों की मदद की और उनमें से चार ने परीक्षा सफलतापूर्वक पास कर ली। वह दोस्त बायजूज से परीक्षा देने के लिए कहते हैं। बायजूज ने परीक्षा दी और 100% मार्क्स प्राप्त करके टॉपर बन गए, इसके बाद बायजु वह बहुत प्रशिद्ध हो गए और वही से उन्होंने कुछ बड़ा करने की सोचा, दिन प्रीतिदिन कई छात्र उनके साथ जुड़ने लग गए और वह 1200 छात्रों के एक साथ ऑडिटेरियम मैं पढ़ाने लगे, छात्रों के लिए उन्होंने 2006 मैं CAT कोचिंग के लिए BYJU’S Clasees की शुरुआत की और यही से उन्हें सफलता मिलती चली गई, कई निवेशक भारतीय व विदेशी बायजु के पास आते है और उनकी कोचिंग BYJU’S Clasees मैं करोडो रुपए निवेश करने की बात रखते है और वह यह भी शर्त लगते है की BYJU’S को एक डिजिटल कंपनी बनाना पड़ेगा और सारि क्लासेस अब डिजिटल होंगी बायजू रवींद्रन उनका ऑफर स्वीकारते है और यही से BYJU’S की शरुआत होती है और कोरोना काल यानि लॉक डाउन मैं यह कम्पनी एक अच्छे मुकाम पर पहुंच जाती है और भारत की सबसे बड़ी स्टार्टअप कंपनी बन जाती है |
Important Reasons for the BYJU’S Ruin ( बायजूज की बर्बादी की अहम् वजह )
कोरोना काल में लॉक डाउन लगने की वजह से इस कंपनी पर रातोरात लाखो छात्र ऑनलाइन आये लाखो छात्रों ने लाखो रुपए के कोर्स खरीदे कंपनी की सफलता देखकर निवेशकों ने बिना बिज़निस मॉडल समझे लाखो करोडो रुपए कंपनी मैं इन्वेस्ट कर दिए यहाँ तक सब ठीक था COVID-19 महामारी आती है। एडटेक कंपनियों के लिए एक बड़ा अवसर था। स्कूल बंद हो गए और शिक्षा लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुई। लॉकडाउन के कारण 1.6 अरब छात्रों को 190 देशों में प्रभावित किया गया, जैसा कि यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार है। और इसी आंकड़े में, एडटेक कंपनियों ने एक बड़ा मौका देखा और सीखने की कमी को भरने के लिए खेल में कूद पड़े। मौका का फायदा उठाने के लिए, ऑनलाइन सीखने कंपनियों ने सबसे पहले अपने प्लेटफॉर्म को मुफ्त एक्सेस के लिए उपलब्ध कराया। मार्च से अक्टूबर 2020 के बीच, पेजव्यूज़ 150% बढ़ गए। भारत सरकार ने ऑनलाइन शिक्षा पर बहुत ज्यादा ध्यान देने वाली एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी पेश की, जिसमें ऑनलाइन शिक्षा पर बहुत ध्यान दिया गया। और इसकी वजह से सभी का विश्वास वृद्धि हुई और इसलिए एक एक्सपोनेंशियल वृद्धि का इंतज़ार कर रहा था। एडटेक क्षेत्र ने वेंचर कैपिटलिस्ट्स से 665 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता प्राप्त की और उनकी कंपनियों ने अप्रैल 2020 से मई 2022 तक इसे लाभ उठाया।
अब, सोचिए, इसका आधा, अर्थात क्षेत्र का आधा, 3.3 अरब डॉलर बायजूज़ को गया था, इसलिए यह एक बड़ी दांव था। अब, इसके इसका यह होता है कि कंपनी की मूल्यांकन दोगुना नहीं होता है, तिगुना होता है और रातों-रात महीने के लिए 22 अरब डॉलर तक पहुंच जाता है। बायजूज़ ने दरअसल दरअसल कई कंपनियाँ खरीदीं। उन्हें उनके जेब में पैसे थे। इस सूची में कोडिंग प्लेटफॉर्म व्हाइट हैट जूनियर, ऑफलाइन कोचिंग संस्थान आकाश, के-12 प्लेटफॉर्म टॉपर और उच्च शिक्षा प्लेटफॉर्म ग्रेट लर्निंग शामिल थी। और इस अंधे विकास के मार्ग पर, चल पड़ा और विश्व भर मैं अपना नाम बनाये रखने के लिए BYJU’S ने तरह तरह के गलत निवेशीकरण तथा कई बड़े विज्ञापन मैं अपना ज्यादा पैसा लगा दिया है उसको डर था की कही कोई और इस बढ़ते हुए बाजार मैं उसका कम्पटीशन न बन जाए और इसी डर और ज्यादा सफलता को वह संभाल न पाया ज्यादा निवेशकों पैसे लेकर BYJU’S कंपनी दबाब मैं आ गयी और वह अपने कर्मचारियों पर ज्यादा दबाब डालने लगी उनको ज्यादा कोर्स बेचने पर दबाब बनाने लगी व काम न होने पर कर्मचारियों से दुर्वव्यव्हार करने लगी, 20222 के अंत तक कंपनी का दम घुटने लगा, कई कर्मचारी काम छोड़कर जाने लगे, अब तो लोन कंपनी और निवेशक भी अपना पैसा मांगने लगते है कंपनी की ग्रोथ न दिखने की वजह से BYJU’S और ज्यादा विज्ञापन करती है और निवेशकों से अपना खाता छुपाते है और धीरे धीरे करके बायजु अपने और फॅमिली के शेयर बेचने लग गए और लॉक डाउन खत्म होते ही ऑफलाइन पढ़ाई फिर से शुरू हुई साथ ही साथ बायजूज के साथ परेशानी बढ़ती गयी क्योकि अब छात्र दोबारा से कॉलेज, कोचिंग जाने लगे इसी तरह बायजूज बुरी तरीके से फ़ैल हो गया |
Hansal Mehta & Pradeep Saha Protest BYJU’S
हंसल मेहता के मुताबित यह कांड इतना बड़ा है कि हंसल मेहता कहते हैं कि उन्होंने SCAM 1 सीजन का नाम ‘बायजूज’ के नाम कर देंगे ऐसा उन्होंने अपने ट्वीट मैं कहा,
There I said it 2 years ago.
Scam S4 – The Byju scam. https://t.co/dNTDHSL5Kf— Hansal Mehta (@mehtahansal) June 27, 2023
प्रदीप साहा ने भी एक पूरी किताब लिखी है – ‘द लर्निंग ट्रैप, हाउ बायजूज़ इंडियन एडटेक फ़ॉर अ राइड’, प्रदीप मॉर्निंग कॉंटेक्स्ट के सह-संस्थापक हैं। यह प्रकाशन वर्षों से बायजूज़ के ढहने की चेतावनी देते आ रहे है लेकिन न तो बायजू रवींद्रन ने, न ही उनकी कंपनी के बाकी निवेशकों ने प्रदीप साहा की चेतावनी को समझा |
Conclusion
बायजूज, मानो किसी पटाके की तरह आसमान को चीरते हुए ऊपर तो गया लेकिन वह वही आसमान में ही फट गया और इस विस्फोट की कहानी को केवल एक तकनीक कंपनी ही नहीं बल्कि पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम को भी इससे सीख लेनी चाहिए, क्योंकि यह कहानी एक उदाहरण है, जब आप अंधे पैसे के साथ एक बुरे व्यापार मॉडल में बहुत सोचे बिना पैसा निवेश करते हैं और बहुत लालची हो जाते हैं, तो अंधे विकास के बावजूद, यह मॉडल अंत में फूटेगा और आपकी बर्बादी तय है यह सबक हम सब के किये है